________________ साहित्यप्र मी मुनि निरन्जनविजय संयोजित पशुओं में देख कर किस मनुष्य के हृदय में कौतुक नहीं होता। ... इसके बाद देशना जब पूर्ण हो गई तब श्रीदत्त ने मुनीश्वर से पूछा कि "हे भगवन् ! किस कर्म के प्रभाव से मुझको माता तथा पुत्री के विषय में अनुराग हुआ ? _____ तब मुनीश्वर ने उत्तर दिया कि यह पूर्व जन्म के संस्कार से ऐसा हो गया है।" . .. मुनि द्वारा श्रीदत्त और शंखदत्त का पर्व जन्म कथन। तब पुनःश्रीदत्त ने पूछा कि 'मेरापूर्व जन्म किस प्रकार था ?' . मुनीश्वर कहने लगे कि 'हे श्रीदत्त ! तुम अपने पूर्व जन्म का वृतान्त सावधान मन से सुनो।" ___ पंचाल देश में एक 'काम्पील्य पुर' नाम का नगर था। वहां . 'चैत्र' नाम के ब्राह्मण को 'गोरी' और 'गंगा' नाम की कामदेव की रति और प्रीति के समान अद्भुत रूप लावण्य वाली दो स्त्रियां थीं / एक दिन उसे चैत्र ने अपने मित्र मैत्र से एकान्त में कहा कि हे मित्र ! इस समय किसी दूसरे देश में धनोपार्जन के लिये चलना चाहिये ।क्यांकिः-- . 'डर से, आलस्य से और अति आलस्य के कारण कौवा कायर पुरुष तथा मृग अपने देश में ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं,कारणकि के सभीताः परदेशस्य बह वालस्यः प्रमदितः / स्वदेशे निधनं यान्ति काकाः का पुरुषामृगाः // 4478 P.P.Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust