________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरज्जनविजय संयोजित भाग्य का परिणाम विचित्र होता है / इसलिये बुद्धिमान व्यक्ति को भूतकाल तथा भविष्यकाल की चिन्ता नहीं करनी चाहिये परन्तु वर्तमान काल के अनुसार व्यवहार करना चाहिये / इसके बाद उद्यान पालक के मुख से, 'एक 'मुनिचन्द्र' नाम के ज्ञानी गुरू उद्यान में आये हैं, यह बात सुनकर राजा अपने परिवार के साथ उनकी वन्दानी करने के लिये उद्यान में आया / मुनीश्वर को प्रणाम करके धर्मोपदेश के लिये प्रार्थना की। ' मुनिचन्द्र की धर्म देशना तब मुनिश्वर राजा को बोध देने के लिये बोलने लगे कि "जो न्याय करने वाला नहीं हो तथा धर्म का आचरण करने वाला नहीं हो वहां धर्मोपदेश क्या दिया जाय ?" तब राजा ने कहा कि 'हे भगवन् ! मैं न्याय और धर्म का बराबर पालन करता हूं।' __ तब पुनः मुनिश्वर कहने लगे कि 'तुम ठीक ठीक न्याय नहीं करते हो, क्योंकि तुम सत्यवादी श्रीदत्त का व्यर्थ ही प्राण ले रहे * क्व च हरिश्चन्द्रः क्वान्त्यजदास्यं, क्व च पृथुसूनुः क्व च नटलास्यम् / क्व च वनवासः क्वासौ रामः, . कटरे विकटो विधिपरिणामः।।४३०||स. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trus