________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरन्जनविजय संयोजित 66 / ____ काक में पवित्रता, जुआ खेलने वालों में सत्य, सर्प में क्षमा, स्त्रियों में काम वासना की शान्ति, नपुंसक मनुष्य में धैर्य, मद्यपान करने वालों में तत्वज्ञान की विचारण और राजा का सदा के लिये मित्र होना किसने देखा है और न सुना है ? इसके बाद श्री दत्त ने हृदय में इस प्रकार सोचकर, अब इस समय मैं सत्य बोल दू', जो होना होगा सो हो जायगा; राजा के आगे बानर का सब वृतान्ते कह सुनाया। राजा आदि सब व्यक्ति श्रीदत्त की यह बात सुनकर कटाक्ष पूर्वक कहने लगे कि "श्री दत्त ने अपूर्व सत्य वचन कहा है।" क्योंकि जो असंभव हो एसा यदी प्रत्यक्ष भी देखने में आवे तो भी बोलना न चाहिये / जैसे-वानर का गीत गाना तथा पत्थर का जल में तैरना। भीमराजा की कथा___ यह कथा इस प्रकार है कि श्रीपुर नाम के नगर के भीमराजा का मंत्री समुद्र में एक शिला को जल में तैरता हुआ देखकर नगर में आया और राजो आदि सब व्यक्तियों को शिला के तरने का सब समोचार कहा / ____ इसे सुनकर राजा ने कहा कि 'यदि प्रत्यक्ष भी देखा हो तो भी वह असंभव जैसी होतो नहीं बोलना चाहिये / ' राजा की यह बात सुनकर वह मंत्री मौन रह गया / इसके बाद राजा एक दिन घोडे पर चढकर नगर से बहुत दूर बाहर निकला / वहां मार्ग में वानरों का अपूर्व नृत्य गीत P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust