________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरज्जनविजय संयोजित माता का पूर्व वृतान्त अब अपनी माता के समाचार सुनो जव तुम्हारी माता को राजा सूरकान्त ने अपने अन्तःपुर में रख लिया, तब तुम्हारे पिता उस राजा से तुम्हारी माता को छुड़ाने की इच्छा से द्रव्य लेकर चुपचाप दुसरे नगर में अपने घर से चल दिया / तुम्हारे पिता ने नगर के किसी एक पल्लीपति को अत्यन्त प्रसन्ने कर दिया, इसके बाद वह पल्ली पति तुम्हारे पिता से कहने लगा कि :"जो कुछ कार्य हो वह शीघ्र मुझको कहो।" ____ तब तुम्हारा पिता कहने लगा कि "राजा सूरकान्त मेरी स्त्री को चुराकर ले गया है। उस अपनी स्त्री को मैं आपके सहयोग से छ ड़ाना चाहता हूँ। अपने कार्य को सिद्ध करने में समर्थ तो बहुत से लोग देखे जाते हैं, परन्तु जो परोपकार करने वाले हैं, ऐसे मनुष्य पृथ्वी में थोड़े ही मिलते हैं। इसके बाद वह सोम उस पल्ली पति की सेना लेकर राजा सूरकोन्त की सीमा में पहुँचा / सूरकान्त उस विशाल सेना को देखकर अत्यन्त व्याकुल हो गया, फिर भी सन्मुख आकर शत्रु से युद्ध करने लगा, परन्तु जब सूरकांत की सब सेना नष्ट हो गई, तब वह भाग कर अपने किले में चला गया। किले के द्वार को बंद करके बख्तर पहनकर सावधान होकर स्थिर हो गया। इधर सोम सैन्य के साथ बल पूर्वक द्वार को तोड़कर नगर में पहुँच गया। किन्तु युद्ध करते P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust