________________ LYRI Lad Glr-2 moc P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. A60.30 1602) 10.00. 3.75 FAIRSARAI ट a Jun Gun Aaradhak Trust वानर का मनुष्य भाषामें कथन: रे पापिष्ट दुराचारी ! दुसरे के दोषों को देखने वाले ! तुम अपने मित्रको समुद्रमें फेंक कर, अपनी माता और कन्या को बगलमै लेकर के दूसरे के दोष को कहते हो; तुम शीघ्र ही गहरे कूपमें गिरोगे। पृष्ट 60-61 (मु. नि. वि. संयोजित विक्रम चरित्र दुसरा भाग चित्र नं. 10)