________________ VARATRAMER MAITHIBIIIIII / MITTISITITION ITIHITSTIL HERI P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.. II (U1OTO/OIOTONI CAN Euye Jun Gun Aaradhak Trust जिन प्रसाद के शिखर पर शुकको देखते देखते उसी समय जितारि राजाने शरीर त्याग कर दिया / पृष्ट 45 (मु. नि. वि. संयोजित राजा जितारिकी हंसी और सारसी दोनों रानियों को वैराग्य उत्पन्न हुआ, गुरुके समीप जा कर | दोनों ने हर्षपूर्वक दीक्षा ली / पृष्ट 45. विक्रम चरित्र दूसरा भाग चित्र नं. 7-8)