________________ विक्रम चरित्र - अवधि ज्ञान से अवलोकनः- ... . वहां वे दोनों देवी होकर सुख पूर्वक समय बिताने लगी, अवधि ज्ञान से अपने पिछले भव के सम्बन्ध को देखने लगी। अपने स्वामी को पक्षी-तिर्यश्च गति में देख कर दोनों देवियों को। अत्यन्त दुख हुआ। बाद दोनों देवियां शिघ्र हो देव लोक से उस शुक को प्रतिबोध के लिए आकर कहने लगी कि "हे शुक पूर्वजन्म में तुम 'जितारी' नाम के महाराजा थे, अर्थात् हमारे स्वामी थे," इत्यादि पूर्व जन्म का सब वृतान्त कह सुनाया और पुनः कहा कि तुमने बहुत पुन्य आदि किया था परन्तु अंत समय में आर्तध्यान के कारण भाग्य संयोग से पक्षी भव को प्राप्त किया है। इसी लिए अब तुम अपने मन में शुभ ध्यान करो, जिससे तुम को * स्वर्ग और मोक्ष के सुख प्राप्त होंगे।' शुक-पक्षीका अनशन व स्वर्ग गमनः__ इस प्रकार धर्मोपदेश देकर शुक को अनशन ग्रहण कराया, बाद वह शुक धर्म भावना पूर्वक मरकर स्वर्ग में गया, और उन्हीं दोनों देवियों के स्वामी देव हुए इस प्रकार वह शुक-देव उन दोनों देवियों के साथ सुख का अनुभव करते हुए किस प्रकार बहुत सा समय व्यतीत हो गया यह नहीं जान सके। स्वर्ग से च्युत होकर दो तीन बार मनुष्य जन्म प्राप्त करके वे देवियां पुनः 2 जितारी देव की पत्नियां हुई अर्थात् 'दो मर्तबा मनुष्य भव और तीन बार देव भव तीनों जिवों ने क्रम से प्राप्त P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust