________________ 42 . . :. . . . . .:: विक्रम चरित्र. wwwwwwwwwww राजा को अनेक प्रकार से समझाने पर भी उसने अपने नियम को। नहीं छोड़ा। दृढ़ मन वाले महाराजा ने उत्तर दिया, “मैं अपनी की हुई प्रतिज्ञा को पूर्ण करने का सामर्थ्य रखता हूं, प्राणान्त होने . पर भी मैं अपनी ली हुई प्रतिज्ञा नहीं छोडूगा !" स्वप्न में गोमुख यक्ष का कथनः मंत्री आदि सारा ही परिवार अत्यन्त दुखी हुआ / रात होने पर मंत्री आदि सब सो गये, तब सोये हुए मन्त्री को स्वप्न में तीर्थ के अधिष्ठायक श्री 'गोमुखयक्ष ने कहा कि तुम अपने मन में कुछ भी चिन्ता न करो मैं तुम्हारे मनोरथ को पूर्ण करूंगा; प्रातःकाल प्रथम प्रहर में जब संघ मार्ग में चलने लगेगा तब मैं सत्य ही श्री विमलाचल तीर्थ को सन्मुख में ले आऊंगा औरउस तीर्थको नमस्कार कराकर राजाजीका अभिग्रहको पूर्ण कराना इस प्रकार यक्ष ने सब को विश्वास क्रेलिये हरेकको स्वप्न दिया / प्रातःकाल में सूरीश्वरजी आदि मन्त्रीगण एकत्रित होकर रात्रि का स्वप्न का समाचार परस्पर कहने लगे। संघ के साथ मार्ग में चलते हुए राजा ने तीर्थ को देख कर भक्ति भाव से पूजादि कर अपने अभिग्रह को पूर्ण किया / - सारे संघ के यात्रीगण को आज बहुत ही आनन्द हुआ था, अच्छे अच्छे सुगंधी पुष्पोंसे तथा सुन्दर स्तोत्रों से द्रव्य और भाव से तीर्थ की स्तुति करके राजा आदि सभी ने अपने मानव जन्म को सफल किया / श्री आदिनाथ को प्रणाम करके आगे जाने में राजा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust