________________ - साहित्य प्रमी मनि निरञ्जनविजय संयोजित रति और प्रीति की तरह हंसी और सारसी दोनों मनोहर स्त्रियों से सुशोभित होकर उत्सव पूर्वक अपने नगर में प्रवेश किया। * एक दिन नगर के उद्यान में "श्रीधर" नाम के आचार्य गुरूदेव के पधारने की बधाई सुनी, हंसी और सारसी दोनों रानियों के साथ जितारि राजा उद्यान में आचार्य की वंदना करने के लिए आये / वहाँ पर आचार्य ने धर्मोपदेश देते हुए , फरमायाः- . . . "इस संसार में अनेक प्राणियों को धर्म के प्रभाव से ही उत्तम् आर्य कुल में जन्म; निरोगी शरीर, सौभाग्य दीर्घ आयु और बल प्राप्त होता है / धर्म से ही निर्मल यश, सद् विद्या तथा रिद्धि सिद्धि आदि की प्राप्ति होती है, 'घन घोर बन में और महाभय में धर्म ही रक्षा करता है, धर्म की. वास्तविक उपासना करने पर स्वर्ग और मोक्ष भी मिलता है।" रोजा का सर्व श्रेष्ट धर्म को ग्रहण करनाः राजा जितारि धर्मोपदेश सुनकर अहिंसा धर्म को ग्रहण करके अपनी स्त्रियों के साथ अपने राज महल में आया, और आनंद पूर्वक समय बिताने लगे / हसी सरल स्वभाव वाली स्त्री * थी और अपने स्वामी की उचित रूप से आज्ञा पालन करती हुई धर्म ध्यान में निमग्न हुई / उसने स्त्री जाति योग्य कर्म को P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust