________________ 38 विक्रम चरित्र an नाश कर मनुष्योंचित कर्म से बंध ( संबंध ) किया और दूसरी बहन सारसी वह कपटी स्वभाव वाली थी। वह पति के साथ . माया खेलती हुई और बाहर से प्यार दिखाती हुई स्त्रियोचित कर्म से बध (संबंध) किया। कुछ दिन व्यतीत होने पर कुटिल स्वभाव वाली सारसी हसी के साथ हमेशा क्लेश करती रही / एक ही वस्तु के दो चाहने वाले होने पर परस्पर अवश्य कलह होता है, और कलह के : कारण आपस में मतभेद जरूर होता है, उसमें भी सपत्नियों (सौत) का स्वभाव सरल होना तो असम्भव ही है। “पाठक गण ! देखो कैसे अब-भगिनी में आपस द्वेष चला। जब काम वासना बढ़ती है-होगा तब कैसे कहीं भला // पाठक गण ! दोनों बहिनों के आपस में कितना प्रम था और वियोग न हो जाय इसीलिए एक ही स्वामी के साथ विवाह किया था वे ही आपस में द्वष रखती हैं, यही स्वार्थी संसार की स्थिति है। यात्रिक संघ का अवलोकनः एक दिन “जितारि" महाराजा खिड़की पर बैठे हुए राज मार्ग पर अवलोकन कर रहे थे, उस समय यात्रियों को इकट्ठे हुए जाते देख कर सेवकों से पूछा, ये सभी यात्री कहां जा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun'Aaradhak Trust