________________ Forseeeeeeeeeeeeeeers सान्वय भाषान्तर चरित्रं SAs पुण्याढय - सा पूर्णदोहदा तूर्णमन्तःसंतोषशालिनी / मुहुरानन्दसंदर्भाद्रपुः सपुलकं दधौ // 231 // . अन्वयः-पूर्णदोहदा तूर्णं अंतःसंतोषशालिनी सा मुहुः आनंदसंदर्भात् सपुलकं वपुः दधौ. // 231 / / 15 अर्थः-दोहलो संपूर्ण थवाथी तुरतज हृदयमा अत्यन्त खुशी थयेली ते हरिणी वारंवार आनंदना उभराथी रोमांचित शरीरने धारण करवा लागी. // 231 // अथैन्द्रजालिको हर्षहारिणा इछत्रधारिणा / कृतकृत्यः कृतः कृत्यविदा सर्वस्वदायिना // 232 // : अन्वयः-अथ हर्षहारिणा कृत्यविदा छत्रधारिणा ऐंद्रजालिक: सर्वस्वदायिना कृतकृत्यः कृतः // 232 / / अर्थः-पछी अति हर्षित थयेला, तथा करेला उपकारने जाणनारा एवा ते छत्रधरे ते इंद्रजालिकने सघळु धनआपी कृतार्थ कर्यो.।२३२ अंगसंगतनिःशेषामुद्रसामुद्रलक्षणम् / सुतं सुते स्म कालेन साथ पाथोधिपायिनी // 233 // अन्वयः-अथ पाथोधिपायिनी सा कालेन अंग संगत निःशेष अमुद्र सामुद्र लक्षणं सुतं सूतेस्मः // 233 // ROCESSOOGGES900 न Jun Gun Aaradhak Trust HHEPAC.Gunratnasuri M.S. MARATHI