________________ पुण्याढय चरित्रं 9 सान्वय भाषान्तर 11.1 अर्थः-एवीरीते परस्पर वचन मुखना स्वादथी पुष्ट थयेला एवा ते बन्ने दंपती हर्षथी देवपूजाआदिक उत्तम कार्य करवा लाग्या / / 220 // गर्भानुभावतः कान्तिकीर्तिसौख्यसमृद्धिभिः। तद्गृहेऽथ मुदा सार्धं ववृधे स्पर्धयाधिकम् // 221 // __अन्वयः-अथ गर्भअनुभावतः तद्गृहें कांति कीर्ति सौख्य समृद्धिभिः मुदा साध स्पर्धया अधिकं ववृधे. // 221 // / अर्थ:--पछी गर्भना प्रभावथी तेना घरमां कांति, कीर्ति, सुख अने समृद्धि हर्षनी साथे स्पर्धाथी अधिक अधिक वधवा लाग्यां. तृतीये मासि संपूर्णे हरिण्याः पुण्यगर्भभूः / रत्नाकरस्य पानेऽभूदोहदों हृदि दाहदः॥ 222 // - अन्वयः-तृतीये मासि संपूर्णे हरिण्याः रत्नाकरस्य पाने पुण्यगर्भभूः हृदि दाहदः दोहदः अभूत् / / 222 // अर्थः-त्रीजो मास संपूर्ण थतां ते हरिणीने समुद्रनुं पान करवानो ते पुण्यशाली गर्भथी उत्पन्न थयेलो, अने हृदयमां चिंता करनारो दोहलो उत्पन्न थयो. // 222 // DOOOOOOD DecemeCCISISISESEGIG PPAC.Gunratnasuri M.S: Jun Gun Aaradhak Trust