________________ सान्वय भाषान्तर 190 . | पुण्याढय (0) अथावदददो नारों किन्नरः शृणु सुन्दरि / सर्वोत्तमसुतोत्पत्तिसूचकः स्वप्न एष ते // 218 // चरित्रं ' 'अन्वयः-अथ किन्नरः नारी अदः अवदत् , (हे) सुंदरि ! शृणु ? एषः ते स्वप्नः सर्वउत्तमसुतउत्पत्तिसूचकः // 218 / / .. अर्थः-पछी ते किन्नरे ( पोतानी ते) स्त्रीने एम का के, हे सुंदरि! सांभळ? आ तारुं स्वप्न सर्व प्रकारे उत्तम एवा पुत्रनी उत्पत्तिने सूचवनारुं छे. // 218 // ततोऽवादीन्मुदा वाणी हरिणी हारिणीमसौ / खामिन्धुतसुधावस्तु सत्यमस्तु तवोदितम् // 219 // अन्वयः-ततः असौ हरिणी मुदा हारिणीं वाणी अवादीत्, (हे) स्वामिन् ! धुतसुधावस्तु तव उदितं सत्यं अस्तु ? // 21 // अर्थ:-पछी ते हरिणी हर्षथी मनोहर वाणी बोली के, हे स्वामी ! अमृतनो पण तिरस्कार करनारुं आपनुं वचन सत्य थाओ ? इत्थमन्योन्यमालापसुखस्वादनमेदुरौ / देवता दिसत्कृत्यं चक्रतुस्तौ प्रमोदतः॥ 220 // अन्वयः-इत्थं अन्योन्यं आलाप सुख स्वादन मेदुरौ तौ प्रमोदतः देवता दि सत्कृत्यं चक्रतुः / / 220 / Deel030800022elbegelo AamratnaSUPREM.S: MARATI