________________ 000000000000000000000 पुण्याहय चरित्रं सान्वय भाषान्तर 189 // 89/ अन्वयः-सुकृती कामनस्य आत्मा अस्याः गर्भे समवातरत्, तदा गर्भअनुभावतः सा अद्भुतं स्वप्नं अपश्यत् // 215 // अर्थ.-पुण्यशाली एवो वामननो जीव तेणीना गर्भमा उत्पन्न थयो. ते वखते ते गर्भना प्रभावथी तेणीए अद्भुत स्वप्न जोयु.२१५ तत्क्षणं हरिणी त्यक्तनिद्रा चन्द्रमुखी सुखम् / पल्यङ्कादुत्थिता पत्युः सुस्थितेति व्यजिज्ञपत् // 216 // अन्वयः-तत्क्षणं त्यक्तनिद्रा चंद्रमुखी हरिणी सुखं पल्यंकात् उत्थिता सुस्थिता पत्युः इति व्यजिज्ञपत्. // 215 / / / अर्थः-तेज क्षणे निद्रा तजीने चंद्रसरखा मुखवाळी एवी ते हरिणी सुखेथी पलंगपरथी उठीने सावधान थइ थकी ( पोताना ) स्वामीने आ प्रमाणे कहेवा लागी. // 216 // ममोदरे रुचां राशेरभिषेकं वितन्वती। मेरुश्रृंगे महालक्ष्मीः स्वप्नेऽद्य ददृशे मया // 217 // अन्वयः-अद्य मया स्वप्ने मम उदरे रुचां राशेः अभिषेकं वितन्वती मेरुशृंगे महालक्ष्मीः ददृशे // 217 // अर्थः-आजे में स्वप्नमा मारा उदरमा तेजना समूहनो अभिषेक करती, तथा मेरुपर्वतना शिखरपर रहेली एवी महालक्ष्मीने जोइ. C SECSSSSSSSSSCIENCIEISISISTER PR.AC.Guriratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust