________________ पुण्याढय चरित्रं 188 सान्षय भाषान्तर 188 लक्ष्मी लोकोना मुखकमलपर बाधारहित क्रीडा करे छे. // 2.12 // . . तस्यां शस्यांसशैलाग्रझरत्पौरुषनिर्झरः। विरोधिरोधकृबाहुः सुबाहुरिति भूपतिः // 213 // र अन्वयः-तस्यां शस्यांसशैल अग्र झरत्पौरुष निर्झरः, विरोधि रोधकत् बाहुः सुबाहुः इति भूपतिः // 213 // अर्थ:-ते नगरीमा मनोहर खभारूपी पर्वतना शिखरपरथी झरतुं छे पराक्रमरूपी झरणुं जेमाथी, तथा शत्रुओने अटकावनारी छे भुजा जेनी एवो " सुबाहु" नामे राजाछे. // 213 // तस्य धात्रीपतेश्छत्रधरः किन्नरसंज्ञकः। गृहिणी हरिणी तस्य हरिणीनयनाजनि // 214 // . अन्वयः-तस्य धात्रीपतेः किन्नरसंज्ञकः छत्रधरः, तस्य हरिणीनयना हरिणी गृहिणी अजनि. / / 214 // अर्थ:-ते राजानो किबरनामनो छत्रपर, हतो, अने तेनी हरिणीसरखी आंखोवाळी हरिणी नामनी स्त्री हती. // 214 / / सुकृती वामनस्यात्मा गभेऽस्याः समवातरत् / गर्भानुभावतोऽपश्यत्तदा सा स्वप्नमभुतम् // 215 // . . bideeBiNGEBIBlelaleleldisiebalo RelateAMIARimila r