________________ 0000000000000000000 पुण्यात्य चरित्रं 187 सान्वय भाषान्तर 87) अन्वयः-पाकमैत्रीरागतः असौ नागवरः मां उपागतः, अनेन अहं बोधितः, इदं प्राक्कर्मफलं आसदं / / 210 // अर्थः-पूर्वभवनी मित्राइना रागथी आ हस्तिराज मारीपासे आव्यो, अने तेणे मने बोध आप्यो, एवी रीते में पूर्वना कर्मोन फल मेळव्यु. // 210 // . यस्त्वासीद्वामनः किंचिदगोत्रगर्वादवामनः। भूप स्वरूपमेतस्य श्रृणु शेषं विशेषतः॥ 211 // ___ अन्वयः-(हे) भूप! यः तु वामनः गोत्रगर्वात् किंचित् अवामनः आसीत्, एतस्य शेषं स्वरूप विशेषतः शृणु.? // 21 // अर्थः-वळी हे राजन्. वामन केजे गोत्रना गर्वथी कंइंक अक्कड रह्यो हतो, तेनुं चाकी रहेलुं वृत्तांत तमो विशेष प्रकारे सांभळो 1 / 219 अस्त्यवन्ती समस्तार्थानवन्ती नामतः पुरी / वाग्लक्ष्म्यौ क्रीडतोऽपीडं यस्यां जनमुखाम्बुजे॥ 21 // __अन्वयः-समस्त अर्थान् अवंती अवंती नामतः पुरी अस्ति, यस्यां वाग्लक्ष्म्यौ जन मुख अंबुजे अपीड क्रीडतः // 212 // Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasuri M.S.