________________ peeeeeeICITIERIES पुण्याढ्य सान्वय चरित्रं भाषान्तर 186 186) ) फलं मे पशुरूपत्वमिति हासोक्तिकर्मणः / स रामः सामजो जज्ञे तैः पुण्यैर्ज्ञानवानयम् // 208 // अन्वयः-मे पशुरूपत्वं फलं, इति हासोक्तिकर्मणः स रामः सामजः जज्ञे, तैः पुण्यैः अयं ज्ञानवान. // 208 // अर्थः-"मने तो आ पशुरूप धारण करवानुं फल मळ्युं," एम हांसीयुक्त वचनना कर्मथी ते रामनो जीव हाथी थयो, परंतु ते पुण्योवडे आ ज्ञानवालो थयो छे. / / 208 // मुनिहक्कण्टकाकर्षाद्राज्यं निष्कण्टकं भवेत् / इत्युक्त्या प्राप संग्रामजीवोऽहं तादृशं फलम् // 209 // ___ अन्वयः-मुनिहक्कंटकआकर्षात् निष्कंटकं राज्यं भवेत्, इति उक्त्या संग्रामजीवः अहं तादृशं फलं प्राप. // 20 // अर्थः-मुनिनी आंखमाथी कांटो कहाडवाथी निष्कंटक (शत्रुविनानु) राज्य मळे, एवां वचनथी संग्रामनो जीव एवो (आ) हुं ते, (राज्यरूप ) फल पाम्यो. // 209 // ) प्राग्मैवीरागतो नागवरोऽसौ मामुपागतः / बोधितोऽहमनेनेदं प्राकर्मफलमासदम् // 210 // Delseslede80100ppmeo Junoonkaradhakirust