________________ 09891990elevelegbetetexeos पुण्याय चरित्र सान्वय भाषान्तर 85) X अन्वयः--इत्थं मिथः कथालापशालिनः प्रीतिमालिनः तत्कर्म अद्भुतं भावयतः हर्म्यमहीं अगुः // 205 // अर्थ:-एवी रीते परस्पर वातो करवाथी शोभता, तथा आनंद पामता (एवा तेओ) ते कार्यने आश्चर्यवाळु मानताथका घेर गया.।२०६॥ अजातपौरपीडाभिः क्रीडाभिस्ते निरन्तरम् / वयस्या गमयामासुवासरान्धर्मभासुरान् // 206 // अन्वयः-अजातपौरपीडाभिः निरंतरं क्रीडामिः ते वयस्याः धर्मभासुरान्-वासरान् गमयामासुः..॥ 206 // .. अर्थ:-जेथी नगरना लोकोने कंई दुःखन थाय, एवी हमेशनी क्रीडाथी ते त्रणे मित्रो धर्मकार्योथी तेजस्वी थयेला दिवसो गाळवा लाग्या. // 206 // तेऽथ पातकपूर पूरितायुषः। यथा यथा समुत्पन्नाः शृणु भूप तथा तथा // 207 // अन्वयः-अथ (हे) भूप! पातकपूरेण दुरिताः ते पूरितायुषः यथा यथा समुत्पन्नाः, तथा तथा शृणु // 207 // अर्था-पछी हे राजन् ! पापोना समूहथी रहित. एवा ते त्रणे. आयु संपूर्ण थयाबाद जेम जेम (पाछा) उत्पन्न थया, तेम तेम सांभळो OE000000 99609OOOOOSGESIGGES Jun Gun Aaradhak Trust ANWARP.A.GunratnasuriM.S. Dostomhalini