________________ 9999999999999999998 पुण्यालय चरित्र सान्धय भाषान्तर 8 // 184 यदस्य मुनिराजस्य नेत्रं निःकण्टकं कृतम् / राज्यं भवान्तरे भावि तदकण्टकमेव नः // 203 // अन्वय:-पत् अस्य मुनिराजय नेत्रं नि:कंटकी कृतं, तत् नः भवांतरे अकंटकं एव.राज्यं भावि. / / 203 // अर्थ:--(आपणे) जे आ मुनिराजनी आंख कंटकरहित करी छे, तेथी आपणने आवता भवमा नि:कंटक (शत्रुओ विनानु) राज्य प्राप्त थशे. // 203 // अथ प्रोन्मीलदुद्दामकामनो वामनोऽवदत् / कर्मामेयफलं ह्येतत्फलमानोऽस्य नोच्यते // 204 // अन्वयः-अथ. मोन्मीलउद्दामकामनः वामनः अवदत् , एतत् कर्म अमेयफलं, अस्य फलमानः न उच्यते // 204 // अर्थी-पछी उंची इच्छा धरावनारो वामन बोल्यो के, आ कार्य तो अनंत फलवालुं छे, आ कार्यना फलनुं प्रमाण कही शकायज नहीं. // 204 // इत्थं मिथः कथालापशालिनः प्रीतिमालिनः / अद्भुतं भावयन्तस्तत्कर्म हर्म्यमहीमगुः // 205 // @200000000000000G nratnasuriM.S Jun Gun Aaradhak Trust