________________ 0009999999999999999998 सान्वय भाषान्तर 814 पुण्यादय अन्वयः ततः चतुष्पदीभूत तनौरामे कृत क्रमः, संग्राम हस्त विन्यस्त वाम हस्तः सः वामनः, // 195 // अहो! अयं कियत् चरित्र मलाईः / इति शूकया संकुचन अवाम पाणिना महर्षेः दृशः कंटकं अकर्षत् // 196 // युग्मं // EN आर्थ:-पछी चोपगारूप थयेल शरीरवाला समनी पीठ उपर पग राखीने तथा डावे हाथे संग्रामनो हाथ पकडीने ते वामने,॥१९५॥ अहो ! आ मुनि केवो गंदो छे! एम गथी संकोच पामताथका (पोताना) जमणा हाथथी ते मुनिराजनी आंखमाथी कांटो वंची कहाच्यो. // 196 // युग्मं / / . CD // सुखसंचरणार्थं ते मुक्तिमार्गमिवात्मनः / कृत्वा निष्कण्टकं नेत्रं मुनेर्मुमुदिरेतराम् // 197 // अन्वयः-ते सुखसंचरणार्थ आत्मनः मुक्तिमार्ग इव मुनेः नेत्रं निष्कंटकं कृत्वा मुमुदिरेतरां. // 197 // अर्थ: तेओ मुखे चालवामाटे जाणे पोताना मोक्षमार्गने काटारहित करता होय नही ? तेम ते मुनिनी आंखने काटारहित करीने बहु खुशी थवा लाग्या.॥ 197 // Descciend GOOSECCSCGOOOOOOOOD dun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasuri M.S.