________________ पुण्यादय सान्वय भाषान्तर चरित्र अर्थः-पायें करीने बीजा सर्वे जीवो पण पोतपोताना कर्मोवडे (आ) संसारमा चोर्यासीलाख योनिओमां भभ्या करे छे. // 16 // तथाहि जन्मानि सप्त लक्षाः स्युः पृथ्वीकाये शरीरिणः।जले सप्तानले सप्तानिले सप्त स्वकर्मतः॥१६५॥ ___ अन्वय:-तथाहि-शरीरिणः स्वकर्मतः सप्त लक्षाः जन्मानि पृथ्वीकाये, सप्त जले, सप्त अनले, सप्त अनिले स्युः // 15 // अर्थ:-ते कहे -जीवनी पोताना कर्मयोगे सातलाख योनिओ पृथ्वीकायमां, सातलाख अपकाया, सातलाख तेजस्कायमां, अने सातलाख वायुकायमा थाय छे. // 165 // द्विधा वनस्पतिज्ञेयः प्रत्येकानन्तभेदतः। तत्राये दश लक्षाणि द्वितीये तु चतुर्दश // 166 // . अन्वयः-वनस्पतिः प्रत्येक अनंत भेदतः द्विधा ज्ञेयः, तत्र आधे दश लक्षणि, द्वितीये तु चतुर्दश // 16 // अर्थी-वनस्पतिकाय प्रत्येक अने अनंत एटले साधारणमा मेदथीचे प्रकारनो' जाणवो, तेमना पेहेलानी दशलाख, अने बीजानी चौदलाख योनिओ छे. // 166 // :