________________ 0000000000000000000 मान्वय भाषान्तर पुण्याढय चरित्रं 611 61 अर्थ:--(आ) पुण्यात्यराजानी आज्ञाने मस्तकपर नही धारण करनारा राजाओना माणोनो नाश करवामाटे आ वज्र दिशाओमां फरे छे, // 146 // एवीरीतनी आकाशवाणीसहित त्रणे जगन्ने कंपावनाएं ते वज्र दूर रहेला असंख्य देशोमा भमवा लाग्यु. // 147 // युग्मं // ... प्रदत्तासंख्यदेशान्तःपृथ्वीनाथाज्ञमित्यदः / अनिशं तासु सीमासु भीमार्विज्रमस्फुरत् // 148 // अन्वयः इति प्रदत्तअसंख्यदेशातः पृथ्वीनाथ आशं भीमार्चिः अदः वजं अनिशं तास सीमासु अस्फुरत् // 148 // अर्थ:-एवी रीते असंख्यदेशोमा राजानी आज्ञा मनावनालं, तथा भयंकर तेजवाडं आ वज्र हमेशा ते सीमाओमा दीपवा लाग्यु.॥१४॥ अन्यायवार्तामपि यश्चके दध्यौ च तद वि। तमेवाकम्पयद्वजमन्यायकरकायभित्॥१४९॥ अन्वयः-तद्भुवि यः अन्यायवाता अपि चक्रे, च दध्यौ, तं एव अन्य कर कायभित वजे अकंपयत् // 149 // अर्थ:-ते राजानी जमीनपर जे कोइ अनीतिनी बात पण करतो, के चिंतवतो, तेनेज अन्याय करनारना शरीरने भय पमाडनारूं un radhak Trust MAHARA . .