________________ सान्वय भाषान्तर पुण्याढय चरित्रं 156 धनावहशेठ (पोताना.) सुभटोने कहेवा लाग्यो. // 134 // . .. क्षीणोपान्तस्वसैन्योऽपि दुर्धर्षोऽथ करीश्वरः / रिपुसैन्यं ममन्थासौ दधि मन्थानको यथा // 135 // अन्वय:--अथ क्षीण उपांतखसैन्यः अपि दुर्धर्षः असौ करीश्वरः, यथा मंधानको दधि, रिपुसैन्यं ममंथ. // 135 // CINE) अर्थ:-हवे (पोतानी) पासेन सैन्य नष्ट थया छतां पण (कोइथी) गांज्यो न जाय एवो आ हस्तिराज, जेम रवायो दहीने तेम शत्रुना सैन्यने तोडी पाडवा लाग्यो. // 135 // .. पण करी सर्वाभिसारेण ततोऽरोधि विरोधिभिः। रजनीसमयोद्धान्तैर्ध्वान्तैरिव वियत्पथः // 136 // * अन्वयः-ततः रजनीसमयोद्भातैः ध्वांतः वियत्पथः इव, विरोधिभिः सर्वाभिसारेण करी अरोधिः // 136 // अर्थः-पछी सत्रिसमये प्रसरेला अंधकारवडे जेम आकाशमार्ग घेराइ जाय तेम शत्रुओए सर्व तरफथी धसी आवीने ते हाथीने घेर्यो / 136 / इत्यस्मिन्संकटे तिष्ठन्पुण्याढ्यनृपतिर्जनैः। किमध्यासि करीशेन राज्येऽसावित्यशोच्यत // 137 // 0000000000000000000