________________ OCOOODCORRRRRRREEN पुण्याय सान्वय भाषान्तर चरित्र अर्थः-गायन करतीछे धनुषदंडनी दोरी जेमा, नाद करता हाथीओ रूपी छे मृदंगो जेमा, तथा नाच करता छे शरवीरोना घडो जेगा, एवं आ मनोहर रणसंग्रामरूपी नाटक थवा मांडयु. // 132 // भटान्पुण्याढ्यभूभर्तुः क्षणेनाथ द्रुमानिव / उन्मूलयद्भिः प्रसृतं द्विट्पूरैः सिन्धुपूरवत् // 133 // - अन्वय:-अथ पुण्यात्यभूभर्तुः भटान् दुमान् इव क्षणेन उन्मूलयद्भिः द्विट्पूरैः सिंधुपूरवत् प्रसृतं. // 133 // अर्थः-हवे( ते ) पुण्याढय राजाना सुभटोने वृक्षोनी पेठे क्षणवारमा मूळमाथीज उखेडी नाखता एवा शत्रुओना समूहो नदीना पूरनीपेठे धसी आववा लाग्या. // 13 // हस्ती न हन्त हन्तव्यः पंगुरेवेष हन्यताम् / इत्यूलपाणिरवदत्तदा धीरान्धनावहः // 134 // . अन्वयः तदा हंत हस्ती न हंतव्यः, एष: पंगुः एव हन्यतां ? इति ऊर्ध्वपाणिः धनावहः धीरान् अवदत् // 134 // अर्थ:-ते वखते, अरे! (तमारे) आ हाथीने मारवो नहीं, परंतु आ पांगळा पुण्याइयनेज मारवो, एम उंचो हाथ करीने ते Jun Guit Aaradhak Trust .