________________ 000X3990000000000 पुण्यालय चरित्र 5 सान्वय भाषान्तर // 51 // 0000000 अन्वयः-तु हस्तिपकेन उच्चैः नुन्नः अपि सः एकः हस्तिपतिः एव तु बहिः न अगात्, निर्भाग्येषु तादृशः क्व? // 123 // अर्थः-परंतु मावते बहु प्रेर्या छतां पण ते एक हस्तिराजज (नगरनी ) बहार गयो नही, (केमके) निर्णगीओने तेवू N) (अमूल्य रत्न ) क्याथी प्राप्त थाय ? // 123 // अभृत्पुण्याढ्यभूपस्य भूपसझैव केवलम् / ययौ राज्यं समस्तं तदर्धराज्यहरे नरे // 124 // अन्वयः-पुण्यात्यभूपस्य केवलं भूपसब एव अभूत, समस्तं राज्यं तत् अर्धराज्यहरे नरे ययौ. // 14 // E) अर्थ:-(ते) पुण्याढ्यराजानी मालीकीनो तो केवल राजमेहेलज बालासमा रह्यो, पाकी तेनुं सपळु राज्य तो अधु राज्य हर नारा ते धनावह शेठनेज वाधीन थयु. // 124 // भद्रासनैकभक्तात्ममध्येऽपि भुजभृद्गुणः / कोऽपि स्यादिति संनद्धबलजालश्चचाल सः॥ 125 // . अन्वयः-भद्रासनकभक्तआत्म मध्येऽपि कः अपि भुजभृद्गुणः स्यात् , इति संनद्धबलजालः सः चचाल // 125 // DSC0000000000000000 CRP.AC.Gunratnasur M.S. Jun Gun Aaradhak Trust