________________ 099909090909099990X200 ) पुण्याढय चरित्र // 49 // स सान्वय भाषान्तर 149 Dainioraca अर्थ:-पछी राज्यना मुख्य मुख्य पुरुषोना समूहे तेने नमस्कार कयों, तथा पुण्यथी मळेली समृद्धिना प्रभावथी तेनुं "पुण्यात्य" एवं नाम पाडयु. // 118 // राज्यार्धस्वामितागर्वादखर्वस्तु धनावहः / पगुं नामुं नमामीति निर्ययौ नगराहहिः // 119 // . __ अन्वयः-राज्यास्वामितागर्वात् अखर्वः धनावहः तु अमु पंगुं न नमामि, इति नगरात् बहिः निर्ययो. // 119 // अर्थः-अर्ध राज्यनी मालिकीना गर्वथी अक्कड थयेलो धनावहशेठ तो, आ पांगळाने हुं नही नमुं, एम (कही.) नगरथी बहार निकळी गयो. // 119 // तद्वाज्याबलं तस्य मण्डलेशाः परेऽपि च / विधुराङ्गधराधीशवैराग्येण तमन्वगुः // 120 // अन्वयः-तद्राज्य अर्धबलं, च तस्य परे मंडलेशाः अपि विधुरांगधराधीशवैराग्येण तं अन्वगुः // 120 / अर्थ:-तेना राज्य अधु लश्कर, अने तेना बीजा मंडलीको पण आ पांगळा राजाथी विरक्त थइने ते धनावहशेठनी पाछळ गया.।१२०॥ Geeeeeeeeeeeeeeeeeed R.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust