________________ पुण्याय चरित्र सान्वय भाषान्तर // 45 // 45 // NAAD TOTO - अन्वयः-हंत अनेन क्व गंतव्यं ? इति अंतः चिंतयातुराः मंत्रिणः प्रभावाः साधितं मंत्र इव तं अन्वगः // 108 // " अर्थ:-अरे ! आ हाथी ने क्या जq छे ? एम हृदयमां चिंतातुर थयेला मंत्रिओ, प्रभावो जेम साधेला मंत्र पाछळ जाय, तेष तेनी पाछळ जवा लाग्या. // 108 // रत्नार्थीव पुमानब्धि पुंरत्नार्थी स वारणः / दुःप्रवेशं विवेशाथ दूरदेशाटवीपथम् // 109 // अन्वयः-रत्नार्थी पुमान् अधि इव पुरत्नार्थी सः वारणः अथ दुःप्रवेशं दूरदेशाटपीपथं विवेश. // 10 // अर्थ:-रत्नो मेळववानी इच्छावाको मनुष्य जेम समुद्रमा जाय, तेम (राज्यने लायक) उत्तम पुरुष मेळघवानी इच्छावालो ते हाथी हवे दुर्गम एवा दूरदेशना अरण्यमार्गमा दाखल थयो. // 109 // .. सुतं तरुतले कंचिच्चीरच्छन्नशरीरकम् / तत्राभ्यषिश्चदम्भोभिः कुम्भी कल्याणकुम्भः // 110 // 1 अन्वय:-तत्र तरुतले सुप्त, चीरच्छन्नशरीरक कंचित् कुंभी कल्याणकुंभजे। अभोभिः अभ्यर्षिचत् // 110 // LIKinni