________________ IRRIGAR पुण्याढ्य चरित्र 44 // सान्वय जास्त 44) चालवा लाग्यो. // 10 // ...... रडुवराज्ञश्च राज्याय पुरोऽसौ परिपातिनः / सहशैव दृशा पश्यन्मार्गविघ्नानमन्यत // 106 // अन्वयः-राज्याय पुरः पातिनः रकान् राजश्व सदृशैव दृशा पश्यन् असौ मार्गविधान अमन्यतः // 106 // अर्थ:---राज्य माटे (पोतानी ) आगळ आवीने पढता एवा रंकोने अने राजाओने पण तुल्य दृष्टिथीज जोतो एवो ते हाथी (तेओने पोताना ) मार्गमा विनरूप मानवा लाग्यो. // 106 // .... ... . .. सरलं तरलं गच्छन्सदागतिरिव द्विपः / स तस्थौ नगरारामग्रामोर्षीष्वपि न कचित् // 107 // अन्वयः-सदागतिः इव सरलं तरल गच्छन् सः द्विपः क्वचित् नगरआरामग्रामऊर्वीषु अपि न तस्थौ. // 107 // अर्थ:-वायुनी पेठे सिद्धो तथा उतावळे चालतो एवो ते हाथी क्याय नगर, बगीचा, के गामडानी जमीनपर पण उभो नही..१०७ कानेन हन्त गन्तव्यमित्यन्तश्चिंतयातुराः। तं मन्त्रिणोऽन्वगुर्मन्त्रं प्रभावा इव साधितम् // 108 SARAL Gunn