________________ पुण्यालय चरित्र 142 // सान्वय भाषान्तर // 42 // 0912000000000000000 O आफ्नारी दीक्षा ग्रहण करी. // 10 // तेऽपि शुद्धधियो धीराः क्षीराब्धिस्फूर्तिकीर्तयः / कति नाददिरे दीक्षा भवक्षोदविनोदिनीम् // 101 // अन्वयः-शुद्धधियः क्षीराब्धिस्फूर्तिकीर्तयः ते अपि कति भवनोद विनोदिनी दीक्षा न आददिरे // 101 // अर्थ:-निर्बल बुद्धिवाळा, तथा क्षीरसमुद्रना विस्तारसरखी उज्ज्वल कीर्तिवाळा एवा तेओमाना पण केटलाओए संसारना नाशथी आनंद आपनारी दीक्षा न लीधी ? (अर्थात् घणाओए लीपी.)-॥१०१॥ ............. जिनप्रवचनप्रौढप्रभावपृथुभावनः / अथातः सपरीवारो विजहार महामुनिः॥१०२॥... -- अन्वय:---अथ जिनप्रवचनप्रौढप्रभावपृथुभावनः महामुनिः सपरीवारः अतः विजहार. // 12 // अर्थः-पछी जिनशासननो घणो प्रभाव करवानी विस्तीर्ण भावनावाळा ते मुनिमहाराज परिवारसहित त्यांथी विहार करी गया..१०. मङ्गल्यकलशं तस्य करे न्यस्य करीशितुः / पविता मन्त्रिणस्तत्र ततः प्राजलयो जगुः // 103 // 90000000000000000000