________________ poe021989199091981818181920 पुण्यातच .. चरित्र / थयो छ, अने तेथी जाणे हमणाज आ संसारसंबंथि भोगोते हुँ छोडी आपुं. // 15 // प्रभो पीयूषसहशा दृशा मां वीक्ष्य दीक्षय / नेलीयन्तां भवोत्थाना देहदाहज्वरोर्मयः॥ 96 // अन्वय:-(है) प्रभो! पीयूपसदृशा दृशा मां वीक्ष्य दीक्षय? भवोत्थानाः देहदाहज्वरऊर्मयः विलीयंता // 9 // अर्थ:-हे प्रभो! (हवे) अमृतसरखी दृष्ठिथी मारातरफ जोइ मने दीक्षा अ.पो? (के जेथी) आ संसारसंबंधि शरीरमा व्यापेला दाहज्वरना मोजाओ विखराइ जाय. / / 96 // इत्युदीर्य पदद्वन्द्वमद्वन्द्वस्थिरमानसः / आनन्दचन्द्रसूरीणामग्रहीदाग्रही. नृपः॥ 97 // अन्वयः-इति उदीर्य अद्वंदस्थिरमानसः आग्रही नृपः आनंदद्रम्ररीणां पदद्वंद्व अग्रहीत्. / / 97 // अर्थ:-एम कहीने अनुपम स्थिर मनवाळा तथा आग्रहवाळा एवा ते राजाए ते श्रीआनंदचंद्रमुनीश्वरना बन्ने चरणो ग्रहण कर्या. श्लोकार्थज्ञानसंविनाः परेऽपि बहवो जनाः। दक्षा दीक्षामयाचन्त मुनिमानम्य तं तदा // 28 // GESSECSESEGISSIRECGod NSU R ANEURTM.S. Jun Gun Aaradhak