________________ 001299900000000000000 सान्वय पुण्याढय चरित्रं // 39 अर्थः-एवीरीतनां गुरुमहाराजनां वचनथी श्लोकनो अर्थ जाणीने आश्चर्य पामतो एवो (ते) राजा हर्षथी प्रफुल्लित रोमांचवाळो थयोथको बोलवा लाग्यो के, // 93 // . अद्य मे फलवजन्म यद्भवान्भवपारदः। अलभ्यत गुरुगोरगुणगौरवभाजनम् // 9 // .. अन्वयः-अद्य मे जन्म फलवत्, यत् भवपारदः गौरगुणगौरवभाजनं भवान् गुरुः अलभ्यत. // 94 // अर्थ:-आजे मारो जन्म सफल थयो, केमके संसारसमुद्रथी पार पहोंचाइनारा, तथा उत्तम गुणोथी सन्मान करवालाय एवा आपसरखा गुरुमहाराज (मने ) प्राप्त थया. // 94 // त्वत्प्रसादेन संसारसारासारविचारवित् / जानेऽधुना धुनाम्युर्वीभोगान्योगानुरक्तधीः // 95 // अन्वय:-त्वत्मसादेन संसारसारअसारवित् योगअनुरक्तधीः जाने अधुना ऊर्वीभोगान् धुनामि. // 15 // अर्थ---(वळी) आपनी कुपाथी हुँ संसारना सार असार पदार्थोने जाणनारो, तथा योगा आसक्त बुद्धिवाळो (वैराग्यवान) BecoCCIOG Descesecaceecccceed R RASRANAPP.AC.GunratnasuriM.S. OPPAC.Gunnati Jun Gun Aaradhak Trust