________________ DECEIGreeeeeeeeees पुण्याच चरित्र सान्वय भाषान्तर / 38 38 0000000 अन्वयः-जडाः कषायविषयान् शत्रून् मित्रवत् परिपुष्यंति, सुहृदः असुमत शत्रुकृत्य निति. धिक्. // 91 // अर्थः-मूर्ख माणसो कषाय अने विषयोरूपी शत्रुओ मित्रनीपेठे पोषण करे छे, अने मित्ररूप प्राणीओने शत्रु गणी, तेओनो घात करे छे, माटे तेओने धिक्कार छे! // 91 राजन्कोऽप्यवधिज्ञानी तव पूर्वसुहृत्करी। सूक्त्यानया ददौ शिक्षा भुक्तराज्यस्य संयमे // 92 // * अन्वयः-(हे) राजन् ! अवधिज्ञानी, कः अपि पूर्वमुहत करी अनया सूक्त्या भुक्तराजस्य तव संयमे शिक्षा ददौ. // 92 / / अर्थ:-माटे हे राजन्! अवधिज्ञानी, तथा तारा पूर्वभवना कोइक मित्र एवा आ हाथीए आ उत्तम श्लोक लखीने, राज्य भोगवी लीधेला एंवा तने (हवे) दीक्षा लेवामाटे शिखामण आपी छे. // 92 // इति विज्ञाय सूक्तार्थ चमत्कुर्वन्युरोगिरा / मेदिनीजानिरानन्दहृष्टरोमपदोऽवदत् // 93 // अन्वयः-इति गुरोः गिरा शूक्तअर्थ विज्ञाय चमत्कुर्वन् मेदिनीजानिः आनंदहष्टरोमपदः अवदत् // 93 // 000000169000000000000 ANA Jun Gun Aaradhakras