________________ D0000000000000000 पुण्याढ्य चरित्र सान्वय भाषान्तर ART अन्वयः-अतिभक्तिभाक् पार्थिवः मूरि सिंहासने अध्यास्य अग्रे निविश्य भियां तं इलोकं दर्शयन् अर्थ पप्रच्छ. // 4 // LER अर्थः-अत्यंत भक्तिवाळा एवा (ते ) राजाए (ते ) आचार्य महाराजने सिंहासनपर बेसाडी, तथा (पोते) आगळ बेशी भीतमा लखेला ते श्लोकने देखाडी तेनो अर्थ पूछयो. // 84 // . दन्तच्छविच्छलान्मुक्तिशिलादीधितिवर्णिकाम् / दर्शयन्निव भक्तेभ्यो गुरुर्गिरमथाकिरत // 5 // . 'अन्वयः-अथ दंतच्छविच्छलात् भक्तेभ्यः मुक्तिशिलादीधितिवर्णिका दर्शयन्निव गुरुः गिरं अकिरत् . // 85 // अर्थ:-हवे दांतोनी कांतिना मिषथी भक्तोने जाणे सिद्धशिलाना किरणोनो नमुनो देखाडता होय नही? तेम ते गुरुमहाराज वाणी बोल्या. // 85 KEN यो देवगुरुधर्माणां त्रयीं जानाति तत्त्वतः / रमते तन्मतिः सत्त्वे स मित्रामित्रभेदविद् // 86 // * अन्वयः -यः तत्त्वतः देवगुरुधर्माणां त्रयीं जानाति, तन्मतिः सत्त्वे रमते, सः मित्रअमित्रभेदवित् / / 86 // . ... 00000000 OCO000000000 PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust