________________ पुण्याञ्च चरित्रं // 32 सान्वय भाषान्तर // 32 // अर्थः-हजु क्याय कोइ पण पूछवा लायक छ ? के नही ? एम राजाए कहेवाथी मुख्यमंत्री पोल्पो के, // 76 // अद्याप्येको विवेकोर्मिसमुद्रो न समेति सः। आनन्दचन्द्रसूरीन्द्रो जिनशासनतत्त्ववित् // 77 // - अन्वयः-विवेकोर्मिसमुद्रः जिनशासनतत्त्ववित् एकः सः आनंदचंद्रसूरींद्रः अद्यापि न समेति. / 77 // अर्थ:-विवेकरूपी मोजाओना समुद्र सरखा, तथा जिनशासनना तत्वोने जाणनारा एक ते " आनंदचंद्र नामना सूरिराज" हजु आव्या नथी. // 77n ऊचेऽथ राज्ञा नाज्ञायि यदन्यैस्तत्कथं नु सः। तथाप्याहूयतां सोऽपि दीर्णशल्योऽस्तु संशयः // 78 // अन्वयः-अथ राज्ञा उचे, यत् अन्यैः न अज्ञायि, तत् नु सः कथं ? तथापि सः अपि आहूयतां 1 शल्यः दीर्ण शल्यः अस्तु. / 78 / अर्थ:-पछी राजाए कयु के, जे अर्थ बीजाओए न जाण्यो, तेने ते. शीरीने जाणशे? तोपण तेने पण बोलावो? के मेथी आपणो ) संशय दूर थायः // 78 // Mainik