________________ पुण्याढ्य चरित्र // 28 // सान्वय भाषान्तर // 28 // श्लोकः कथंचिबुबुधे बुधेशैरपि तैर्न सः। अतिदीर्घोऽपि न पुमान्पदाभ्यां लङ्घतेऽर्णवम् // 67 // - अन्धयः-तैः युधेशैः अपि सः श्लोकः कथंचिद् न बुबुधे. अतिदीर्घ अपि पुमान् पदाभ्यां अर्णवं न लंघते. // 67 // , ... अर्थ:-ते पंडितराजो पण ते श्लोकनो अर्थ कोइ पण रीते जाणी शक्या नही. केमके अतिलांबो पुरुष पण बे पगोथी महासागर ओळंगी शकतो नथी / / 67 // ...... . ... .. ... ... ... .. ............... ..... मुखाये तोरणीकुर्वन्नथ दन्तांशुधोरणीम् / न्यवीविशन्नृदेवोऽसौ वाग्देवीं रसनासने // 68 // अन्वयः-अथ मुखाने दंतांशुधोरणीं तोरणीकुर्वन् असौ नृदेवः वाग्देवीं रसनासने न्यबीविशत्. // 68 // . . 1 अर्थ:-पछी (पोताना ) मुखना अग्रभागमा दांतोना किरणोनी श्रेणिने तोरणरूप करता एवा ते राजाए सरस्वतीदेवीने पोतानी जीभरूपी आसनपर बेसाडी. ( अर्थात् ते सजा बोल्यो..).॥६८॥..... . मदिष्टदेवता कापि मयि दत्वा जगज्जयम् / श्लोकं शिक्षाविशेषाय लिलेख द्विपरूपभाक् // 69 //