________________ OSHOC000000000000DD पुण्याढ्य चरित्र सान्वय भाषान्तर // 25 // . अन्वयः-सहेल खेछन् अयं कुतः अपि अट्टात् धर्मतरोः बीजं इव अमलं खटीखंड कराग्रेण अग्रहीत. // 59 // अर्थः-मोजथी चालता एवा आ हाथीए कोइक दुकानमाथी जाणे धर्मरूपी वृक्षतुं बीज लेतो होय नही! तेम श्वेत खडीनो टुकडो मुंढना अग्रभागवडे ग्रहण कयों. // 55 // करात्तखटिकाखण्डः शुण्डारः स व्यराजत / स्वर्गदण्डाग्रसंसर्गिसोमव्योमतलोपमः // 60 // ... . अन्वयः-करात्तखटिकाखंडः सः शुंडारः स्वर्गदंडअग्रसंसर्गिसोमव्योमतलोपसः व्यराजत // 60 // .... अर्थ:-शुंडा पकडेला खडीना टुकडावाळी ते हाथी, स्वर्गदंडना अग्रभागयो लटकता चंद्रवाळा आकाशतलसरखो शोमवा लाग्यो / 60 किं कर्तानेन करटी खटीखण्डेन संप्रति / इत्यसौ विस्मयस्मेरैः प्रेक्ष्यमाणः पुरीजनैः // 61 // आत्तनागरमङ्गल्या प्रतिस्थानं मतङ्गजः / लीलालसगतिः प्राप भूपालभवनाङ्गणम् // 62 // युग्मं // अन्वयः-संपति अनेन खटीखंडेन असौ करटी किं कर्ता ? इति विस्मयस्मेरैः पुरीजनैः प्रेक्ष्यमाणः, // 65 // प्रतिस्थान