________________ लाग्वय पुण्यादव चरित्र // 24 // // 24 // लवानो, // 14 // आकाशमाने पण जीतती एवी पताकाओवढे शणगारेला, ऊँचा तोरणोना थांभलाओमां बांधेला मदोन्मत्त हाथीओवाळा, "55 // उंचे चडीने बेठेला अनेक मनुग्योवड़े करीने जाणे अलंकारयुक्त थयेलो, दांतजेवा उज्ज्वल मोतीओनां (तोरणोनी कांतिथी जाणे हास्ययुक्त थयेला // 56 // एच ते नगरमा अजित शत्रुओने पण जीतवाना आवेशथी उछळता गर्वयुक्त हर्षवाला एवा ते राजाए ते. हाथीपर बैशीने प्रवेश करें. // 7 // चतुर्भिः कलापकं // * प्रीतिगौरैर्मुहुः पौरैः स्तूयमानः पदे पदे। लिखन्करी करेणोवीं सविलक्ष इवैक्ष्यत // 58 // अन्वयः-भीतिगौरैः परः पदे पदे स्तूयमानः सः करी विलक्षः इव करेण ऊवीं लिखन् अक्ष्यतः // 58 // अर्थ:--अत्यंत प्रेमवाळा नगरना लोकोबडे पगले पगले स्तुति करातो एवो ते हाथी गभरायेलानी पेठे सुंढथी जमीन खोतरतो जोवामां आव्यो." 58 // खेलन् सहेलममलं कराग्रेणायमग्रहीत् / कुतोऽप्यहात्खटीखण्डं बाजं धर्मतरोरिव // 59 // 00000000