________________ 0000000000 सान्धय भाषान्तर // 23 // 9 पुण्यादय (0) उत्सवबालु ले नगर बनायू ( शणगायु.) 153 // .. चरित्रं आलोककामवामाक्षीजालमालितजालकम् / काश्मीरनोरनोरन्ध्रच्छटाछोटितभूतलम् // 54 // // 23 // व्योमापगां जयन्तीभिर्वैजयन्तीभिरद्भुतम् / उत्तुङ्गस्तोरणस्तम्भानद्धसंमदसिन्धुरम् // 55 // कृताकल्पमिवानल्पैरुच्चस्थानासनेर्जनैः / सहासमिव दन्ताभमुक्तातोरणकान्तिभिः // 56 // दुर्जयारिजयारोहप्ररोहन्मोहसंमदः। तत्पुरं प्रविवेशाथ नृपस्तद्विपसंगतः // 57 // चतुर्भिःकलापकम्॥ 10 अन्वय:-आलोककामवामाक्षीजालमालितजालक, काश्मीरनीरनीरंध्रच्छटाछोटित भूतलं // 54 // व्योमापगां जयंतीभिः वैजयंतीभिः अद्भुतं, उत्तमलोरण स्तंभ आनद्ध संमदसिंधुरं // 55 // उच्चस्थानासनः अनल्पैः जनैः कृताकल्प इव, दंताभमुक्तां तोरण कांतिभिः सहासं इच, // 16 // तत्पुरं दुर्जयअरिजय आरोह प्ररोहत् मोहसंमदः नृपः तद्विपसंगतः अथ प्रविवेश // 17 // अर्थः जोवानी इच्छावाळी स्त्रीओना समूहोथी शोभायुक्त झरुवाओवाळा, केसरना भरपूर छोरणांभोवडे छंटकाव करेल भूमित 0000000) DES00OOODSOGOOGOOOD