________________ DOGSEREY90000000000000 * सान्वय भाषान्तर // 22 // पुण्याढ्य चरित्र // 22 // CM अन्वयः-शक्तिसाधितदुःसाधे जयचंधुरे तस्मिन् सिंधुरे भूमिईशमानसं सविस्मयप्रेम रेमे. // 50 // अर्थ:-( पोताना ) बळथी जेणे दुर्जय (शत्रुओने पण) जीतेल छे, अने जयशाली एवा ते हाथीमा (ते) राजानुं मन आश्चर्य अने प्रोतिसहित रमवा लाग्यु.॥५१॥ तमेवेभविभुं भूपैर्जयश्रीमङ्गलागतैः / पदे पदेऽर्चयन्नाप पुरं. नरपुरन्दरः // 52 // 'अन्वयात एव भविधं पदे पदे अर्चयन् नरपुरंदर: जयश्रीमंगलागतः भूपैः (सह) पुरं आप.॥५२॥... ... ... अर्थ:-नेज गजराजने पगले पगले पूजतो एवो ते सजा जयलक्ष्मीना मंगलमाटे आवेला राजाओ सहित (पोताना)नगरमांआध्यो. महोत्सवमयं भपप्रवेशावेशपेशलम् / सचिवैस्तत्पुरं चक्रे.शक्रेणापीप्सितास्पदम् // 53 // अन्वयः सचिवैः भूपप्रवेशावेशपेशलं शक्रेण अपि ईप्सितास्पद महोत्सवमयं तत्पुरं चक्रे. // 3 // अर्थ- ते वखते) मंत्रिओए राजाने प्रवेश कराववाना उत्साहथी मनोहर, तथा इंद्र पण जेमा रहेवानी इच्छा करे, एवं महान ISO900 000