________________ Domes पुण्याय चरित्रं 21 सान्वय भाषान्तर 1213 उत्पन्ननन्दनानन्दसुधास्नानवशेन्द्रियः॥ स मेने कत्यपि समाः स्वसमान्नाकिनोऽपि न // 514 // "अन्वया-उत्पन्न नंदन आनंद सुधा स्नान वश इंद्रियः सः कत्यपि समाः नाकिनः अपि स्वसमान् न मेंने. // 14 // अर्थ:-उत्पन्न ययेला पुत्रोना आनंदरूपी अमृतना स्नानमां वश थयेल छे इंद्रियो जेनी, एवो ते पुण्यात्य राजा केटलाक वर्षामधी तो देवीने पण पोतानी तुल्य न मानवा लाग्यो. // 514 // वनक्रीडारसाधीनो रसाधीशः कदाप्ययम् / तद्विपानशनस्थानं वीक्ष्य दुःखादचिन्तयत् // 515 // - अन्वयः-कदापि वन क्रीडा रसाधीन: अयं रसाधीशः तद् द्विप अनशन स्थानं वीक्ष्य दुःखात् अचिंतयत् // 515 // अर्थ.-कोइक दिवसे वनक्रीडाना रसमा आसक्त थयेलो आ राजा ते हाथीनुं अनशनर्नु स्थान जोइने खेद पामी विचारखा लाग्योके, हा मां कामान्धहृदयं भवभावा व्यलोभयन् / स्वभङ्गभीरवो यन्मे कृत्यनाशं वितेनिरे // 516 // अन्वयः-हा! स्व भंग भीरवः भव भावाः कामांध हृदयं मां व्यलोभयन्, यत् मे कृत्यनाशं वितेनिरे // 515 / / SAEONE PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust