________________ D00000000000DRODE पुण्याढ्य चरित्र सान्वय भाषान्तर 214 // 1214 00000000 अर्थः-अरे ! पोताना विनाशथी डरता एवा संसारना (इंद्रियोना) विषयोए कामथी अंध थयेला मनवाळा एवा मने लालचमा नाखी दीघो छे, केमके (ओए) मारा सत्कार्योनों नाश कर्यो के. // 516 // नानोपकारिणस्तस्य करिणः कर्तुमीहितः / मोहोल्लासादिह हहा प्रासादोऽपि न कारितः॥५१७॥ अन्वयः तस्य उपकारिणः करिणः नाना कर्तु ईहितःप्रासादः अपि इह हहा मोहोल्लासात् न कारितः // 517 // अर्थः-ते उपकारी हाथीना नामथी करवाने इच्छेलो जिनमासाद पण अहीं अरेरे! में मोहने वश थइ कराव्यो नहीः // 517 // एवं ध्यानपतच्चित्तोऽमात्यानित्यादिशन्नपः। विपुलं द्विपनाम्नान कार्यतां जिनमन्दिरम् // 518 // अन्वयः-एवं ध्यानपतत् चित्तः नृपः अमात्यान् इति आदिशत्, अत्र द्विपनाम्ना विपुलं जिनमंदिरं कार्यता? // 518 // अर्थ:-एवीरीतना विचारथी खिन्न हृदयवाळो राजा मंत्रिओने एम कहेवा लाग्यो के, आ जगोए ते हाथीना नामथी एक विशाल जिनमंदिर करावो? // 518 // Dieet3.8lelo GO00000000000000