________________ पुण्यादय चरित्रं सान्वय भाषान्तर 21 1212 / accecrorea पेठे जगतनी आंखोने आनंद आपवा लाग्यो. // 511 // अङ्गपाटवमङ्गल्यगर्जन्नागरगौरवः / व्रजन्त्यहानि भूजानिर्जानीते स्म न कानिचित् // 512 // - अन्वयः-अंगपाटव मंगल्य गर्जत् नागरगौरवः भूजानिः व्रजंति कानिचित् अहानि न जानी तेस्म. // 512 // अर्थ:-शरीरना सुधारारूपी मंगलीकथी (हर्षना) पोकार करता नागरिकोवडे सन्मानित थयेलो ते राजा चाल्याजता एवा केटलाक दिवसोने जाणवा पण न लाग्यो. // 512 // क्रीडदन्तःपुरीलोकस्तोकीभूतत्रपाभरः / निनाय नायकः क्षमायाः प्रीत्या कत्यपि वासरान् // 513 // अन्वय-क्रीडत अंत:पुरी लोक स्तोकीभूत अपाभरः क्षमाया: नायकः पीत्या कत्यपि वासरान् निनाय. // 513 // अर्थ:-क्रीडा करती राणीओ बडे करीने स्वल्प थयेल छे लजानो समूह जेनो, एवो ते पृथ्वीपति आनंद पूर्वक केटलाक दिवसो व्यतीत करवा लाग्यो. // 513 // 0000000000000000