________________ 09980000000000000000 पुण्याढ्य चरित्रं // 19 // अर्थः-शत्रओना विनाशमाटे मस्तकपर जाणे क्रोधरूपी अग्नि भमतो होय नही! एवीरीते बांधेला रत्नपट्टवाळो ते गंधहस्ति आगळ चालवा लाग्यो. // 43 // नं नेमुः सर्वतो गर्वकुशीभिः कीलिता इव / ये पुरा वैरिणस्तेषु स तत्याज कृपां नृपः॥४४॥ “अन्वयः-गर्वकुशीभिः सर्वतः कीलिताः इव ये वैरिणः पुरा न नेमुः, तेषु स नृपः कृपा तत्याज. // 44 // अर्थ -गर्वरूपी खीलीओथी सर्व बाजुए जडाइने जाणे अक्कड थया होय नहीं! एवा जे वैरीओ पूर्वे नमता नहोता, तेओमते ते राजाए दयानो त्याग कर्यो // 44 // रणेष वारणेन्द्रस्तु स वात्यावर्तवद् दुमान् / लोडयामास विद्वेषिचमूस्तृणसमूहवत // 45 // अन्वयः-रणेषु स वारणेद्रः तु दुमान वात्या वर्तवत् तृणसमूहवत् विद्वेषिचमः लोडयामास. It 45 // अर्थः-राणसंग्रापमा ते गजराज तो बंटोळीयो जेम वृक्षोने तथा घासना समूहने वीखेरी नाखे, तेम शत्रओनां सैन्योने विखेरी CCES सान्वय भाषान्तर // 12 // SODOC 000OOOOOOOO0000000 P. Ac Cunratnasuri,M.S. Jun Gun Aaradtak