________________ peeeeeeeeeeeeeTERIES पुण्याय चरित्र // 18 // सान्वय भाषान्तर __अन्वयः-ततः कृतइभरत्नआप्तिमंगलः अयं महीपतिः अखिलाः दिशः जेतुं जगत्कंपहेतुं यात्रा चक्रेः // 4 // अर्थः-पछी करेलछे हस्तिराजनी प्राप्तिमाटे मंगल जेणे एका आ सजाए सघळी दिशाओ जीता माटे जगत्ने कंपावनाएं (त्यांची प्रयाण कयु..।। 41 // . . .. ... ... ... .... . ... . .. . . निखानध्वानधूलीभिर्बधिरान्धारिविक्रमम् / संकटीभूतभूगोलं लोलं प्रास्थित तलम् // 42 // अन्वयः-निस्वानध्वान धूलीभिः बधिर अंधारिविक्रम संकटीभूतभूगोलं तरलं प्रास्थित. // 42 // अर्थः--ढोलडंकाना अवाजथी, तथा ( उडती ) धूलिथी बेहेरुं तथा अंधकारवाळू थयेलुं छे आकाश जेथी, अने सांकडी थयेल छे पृथ्वी जेथी, एवं ते राजानुं सैन्य चालवा लाग्यु.. // 42 // . स गन्धसिन्धुरो बद्धरत्नपट्टः पुरोऽचलत् / मू|र्वभ्रान्तकोपाग्निरिव लोपाय विद्विषाम् // 43 // ____अन्वयः-विद्विपा लोपाय मूर्धऊर्बभ्रांत कोपाग्निः इव बद्धरत्नपट्टः सः गंधसिंधुरः पुरः अचलत् // 43 // GGESCESSGEGEGGee