________________ OOO00000000000000000 पुण्यादच चरित्रं भाषान्तर थयेलु वृत्तांत (ते राजाने) कही संभळाव्यु. // 472 // ... मम केनोपदिष्टोऽयमिति पृष्टेऽथ भूभुजा / वह्निनामुष्य सत्कर्मदृष्टेनेति गुरुर्जगो॥ 473 // अन्वयः-अथ मम अयं केन उपदिष्टः 1 इति भूभुजा पृष्टे अमुष्य सत्कर्महृष्टेन वह्निना इति गुरु: जगौ. // 473 // अर्थ:-हवे मने आ केशवने कोणे चींध्यो ? एम राजाए पूछवाथी, आना सुकृतथी खुशी थयेला बहि नामना देवे (चींध्यो छे) एम गुरुमहाराजे (राजाने) कयु.॥ 473 // इति श्रुत्वा गुरुं नत्वा सत्त्वाधिकगुरुः पुरम् / केशवेन सम प्रीतः प्रविवेश विशां विभुः॥४७॥ अन्वयः इति श्रुत्वा गुरुं नत्वा सत्त्वाधिकगुरुः विशां विभुः पीतः केशवेन समं पुरं प्रविवेश // 474 // अर्थ:-एम सांभळीने गुरुमहाराजने वांदी पराक्रमथी अधिक भारी थयेलो ते राजा आनंदयी (A) केशवने साथे लेइ नगरमा आव्यो. स्वराज्ये केशवं भूमानभ्यषिश्चन्महोत्सवैः / स्वयं सूरगुरोः पावे तदैव व्रतन ग्रहीत् // 475 // SO DE A Gunratnasuri MS Jun Gun Aaradnak Trus