________________ पुण्यादय चरित्रं 196 // सान्वय भाषान्तर 1961 अन्वयः तदा एवं भूमान् स्वराज्ये महोत्सवः केशवं अभ्यर्षिचत् स्वयं मूरगुरोः पार्थे ते अग्रहीत. // 17 अर्थ:-(पछी) तेज बखते राजाए पोताना राज्यपर महोत्सवपूर्वक ते केशवनो राज्याभिषेक कर्यो, अने पोते (ते) सराचार्यपासे दीक्षा लीधी. // 175 // ..... . ......... ..... ययी श्रीकेशवो राजा नन्तुं देवान्विवेकवान् / सामात्यस्तत्र चैत्येषु पताकाभासुरे पुरे // 476 // 6 अन्वयः-विवेकवान् श्रीकेशकः राजा स अमात्यः पताकामामुरे तत्र पुरे चैत्येषु देवान् नंतुं ययौ. // 47 // अर्थ:-पछी विवेकी एवो ते श्रीकेशवराजा मंत्री सहित पताकाओ बडे शोभिता एवा ते नगरमा रहेल देवमंदिरोमां देवीने वांदवा माटे गयो / 476 : ... ... ..... . ..... ..................... . विहितातुल्यमङ्गल्यः स्वसीधे शुद्धधीय॑धात् / दुःस्थितानां स दानेन तारणः पारणस्थितिम् // 477 // अन्वयः-विहित अतुल्य मंगल्या, सुधीः, दानेन दुरस्थितानां तारणः सा स्वसौघे पारण स्थिति व्यधात्. // 477 //