________________ DOOOOOOOOOOOK HE पुण्याच चरित्र 194 // सान्वय भाषान्तर / 194 // अर्थ:-जे प्रभातमा देशांतरथी आके, तथा जे तारा गुरुपासे आवीने बेशे, एवा ते योग्य पुरुषने पृथ्वी (राज्य) सौंपीने संपूर्ण मनोरथवाळो था ? (अर्थात् तारो चारित्र लेवानो मनोस्थ पूर्ण कर ? / / 470 // :अथास्तनिद्रो निर्माय प्रातःकृत्यमिहागमम् / अपश्यं चैनमायातमाकारख्यातसत्कुलम् // 471 // 'अन्वयः-अथ अस्तनिद्रः पात: कृत्यं निर्माय इह आगम, च आकार ख्यात सत्कुलं एनं आयात अपश्यं // 7 // - अर्थः-पछी निद्रा उड्यानाद पात:काळर्नु नित्यकर्म करीने (1) अहीं आव्यो, (त्यां तो) जेनो आकारज उत्तम कुल जणावे. एवा आ पुरुषने (केशवने अही) आवेलों में जोयो. // 471 // अथादिशद्गुरुर्ज्ञानी केशवस्य शुभात्मनः / वृत्तं निशाशनत्यागनिश्चयामोदसुन्दरम् // 472 // अन्धयः-अथ ज्ञानी गुरुः शुभ आरमनः केशवस्य निशा अशन त्याग निश्चय आमोद सुंदरं वृत्त आदिशत. // 472 / अर्थ:-पछी ज्ञानी एवा ते गुरुमहाराजे निर्मल आत्मावाका एवा ते केशवर्नु रात्रिभोजनत्यागनानिश्चयरूपी सुगंधिथी मनोहर BOSSROOOOOOOOOOOR NO Whati