________________ पुण्याढ्य / चरित्रं 1187 सान्वय भाषान्तर 1987) O900000ROSARORANG अन्वयः-अहो। वरण्य तारुण्यः, पुण्यवान, सुख लोलिता, मनुजोत्तमा, अचल अचल पन्या यशायनस पनि चानुन केशवः अमरैः क्लेशकोंटिमिः अपि रजनी भोजन त्यागात् न चाल्यते, // 453 // 454 // युग्मं / अर्थः-अहो! मनोहर युवावस्थावाळो, पुण्यशाली, सुखमा उछरेलो, मनुष्योमा श्रेष्ठ, अने पृथ्वीनी पेठे निश्चल मनवाळो यशोधन शेठनो पुत्र केशव देवोथी कोडोगमे दुःखो अपाया छतां पण (तेना) रात्रिभोजन त्याग नामना व्रतथी चलायमान थइ शके तेम नथी. // 453 // 454 // युग्मं // तदाकर्ण्य तदा कर्णतप्तत्रपुसमं वचः। स्वभावादाभवादेव देवत्वेऽपि सुखोचिते // 455 // दःखितोऽन्यप्रशंसाभिर्देवः सर्वाभिसारवान् / महर्द्धिर्वहिनामाहमिहागां त्वां परीक्षितुम् ॥४५६॥युग्मम्॥ अन्वयः तदा कर्ण तप्त पुसमं वचः आकर्ण्य सुखोचिते देवत्वे अपि आभवात् एव स्वभावात्।। 455 / / अन्य पशंसामिः दुःखितः महर्दिः वहिनामा अहं देवः सर्वामिसारवान त्वां परीक्षितुं इह आगां / / 456 / / युग्मं / / 00000000 DeceOOOOOOOOOOOOOOD P.P.AC.Gunratnasuri.M.S.