________________ 0908088088eeeeeee पुण्यादय चरित्र 1183 // अर्थ:-अर्धी रात्रिए तां छतो पण, तेमज अर्को पद्दोर दिवस चड्या छतां पण आजे हुँ मारी पोतानी मेळे जाग्यो नही, माटे 60 सान्वय खरेखर आ ते शं (कहेवाय) // 444 // भाषान्तर 1183 / दिवसेऽष्यद्य किं निद्राविवशे मे दृशौ भृशम् / किं नान्तः पद्मवीकाशसुरभिः श्वासमारुतः॥४४५॥ अन्वयः-अद्य दिवसे अपि मे दृशी भूश निद्राविवशे किी अतः श्वासमारुतः पदवीकाश सुरमिः किन? // 445 // - अर्थः--(वळी) आजे दिवसे पण मारी आंखो निद्राथी वधारे केम घेराय छे? तथा अंदरना श्वासनो वायु विकस्वर थयेला कमल सरखो सुगंधी केम नथी? // 445 // इति शङ्काजुषं यक्षस्तमूचे मुश्च जिह्मताम् / प्रातःकृत्यानि कृत्वाशु भूहार कुरु पाणम् // 446 // अन्वयः-इति शंकाजुषं तं यक्षः ऊचे, (हे) भूहाजिसवां मुंच ! आशु माता कृत्यानि कृत्वा पारणं कुरु // 446 // अर्थः-एवीरीते शंकाशील थयेला वे केशवने यक्षे-कणु के, (है) पृथ्वीने शोभावनारा केशव ! (हवे) आळस तजी दे? तथा