________________ पुण्याढ्य चरित्र सान्वय सि भाषान्तर 177 00000000 09999999990000000029900 अर्थः-नहितर आ मुद्गरना महारथी सुगम थनारु छ आकाशगमन जेनुं (एवा तने) यमना घरने मार्गे रबानो कसैश.॥४३०॥ ततः पुण्यसुधासिन्धुहंसो हंसानुजो हसन् / दशनांशुमिषप्रेक्ष्यमाणसत्त्वगुणो जगौ // 431 // अन्वयः-ततः पुण्य सुधा सिंधु हंसः दशनांशु मिष प्रेक्ष्यमाण सत्त्वगुणः हंसानुजः हसन् जगौ. // 431 // अर्थ:-पछी पुण्यरूपी अमृतनी नदीमां हंससरखो, तथा दांतोना किरणोना मिषथी देखातो छ सत्वगुण जेनो एवो। न्हानो भाइ केशव हसतो थको कहेवा लाग्यो के, // 431 / / नैबायं मद्गुरुः किंच त्वया जीवन्ति चैन्मृताः। तदमीषां स्वभक्तानां सर्वाञ्जीवय अन्वय:-अयं मद्गुरुः न एव, किं च त्वया चेत् मृताः जीवंति, तत् अमीषां स्वभक्तानां सर्वान् पूर्वजान जीवय? // 43 // अर्थः-आ मारा गुरुज नथी, वळी तुं जो मृत्यु पामेलाओने जीवाडी शकतो हो, तो आ तारा भक्तोना (मृत्यु पामेला)सघना ) पूर्वजोने जीवता कर ? // 432 // Germcieos 00000000000000000000 | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust